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कसोल की यात्रा के मेरे अनुभव- मेरी पहली सोलो ट्रिप ( कसोल यात्रा- भाग 1)

इस पोस्ट में मैंने कसोल की यात्रा के अपने अनुभवों के विषय में लिखा है. यह मेरी पहली सोलो ट्रिप थी. इसके पहले मैं २००९ से हिन्दी में ब्लॉग लिख रही हूँ और उससे कहीं पहले से घुमक्कड़ी कर रही हूँ, लेकिन कभी ट्रेवल ब्लॉग लिखने का ख़याल नहीं आया. पिछले कुछ दिनों से यात्रा-वृत्तान्त लिखने का मन हो रहा था, तो सोचा ब्लॉगिंग ही शुरू कर दूँ. और यह रही मेरी वेबसाईट. यहाँ घुमक्कड़ी के किस्से होंगे और कुछ तस्वीरें, जो मैंने इस दौरान ली हैं.

उठना

अँधियारे को चिढ़ा-चिढ़ाकर उगता सूरज धरती पर उड़ेल रहा हो पिघला सोना अपनी किरणों से भर-भरकर तो कैसे बैठी रह सकती हो? तुम अपने घर के भीतर उगते सूरज सी उठो निकलो घर से बाहर ! ढलते सूरज के साथ नर्म और शीतल हुई हवा को महसूस करो पानी में अठखेलियाँ करती सूर्य रश्मियों को …

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फ़ोटोग्राफी के अनुभव

फ़ोटोग्राफी के मेरे अनुभव अलग-अलग प्रकार के हैं। अक्सर गले में कैमरा टाँगकर घूमने वाली लडकियों को लोग अजीब नज़रों से देखते हैं। कुछ लोग पत्रकार समझ लेते हैं और किसी को लगता है मैं दूरबीन लेकर दूसरों के घर में तांकझांक कर रही हूँ।